1 Part
199 times read
9 Liked
वो अपनी जाँ पर खेलकर, हमारी जाँ बचाते हैं बिना सोंचे कुछ सरहद पर, दुश्मन से भीड़ जाते हैं। बिना परवाह किये अपनी, हथेली पर जाँ रखकर वतन के ये रखवाले, ...